साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 18
दीपक की बात सुनकर अनुराग ने दीपक की तरफ देखा और मुस्कराते हुए नजर झुका ली।
"बता, क्यो तू धर्मा को छिपाकर रख रहा है? क्यो?"
"बताता हूँ….बताता हूँ…… धर्मा को पुलिस के हवाले क्यो नही किया…. इसके पीछे का कारण बताता हूँ, धर्मा के बारे में पुलिस को नही बताया कि वो मेरे साथ मौजूद था, और अब तक उसे इस मामले से दूर ही रखा। क्योकि उसे मैंने मार दिया…. हां गुस्से में आकर मैंने उसका कत्ल कर दिया था, मेरा मकसद कभी नही रहा की मैं रोशनी के साथ ये हरकत करूँ, मैं बस एक हद मे रहकर उसे पाना चाहता था, मैं तीन तक गिनती गिनकर भी रोशनी के चेहरे में वो बोतल इसलिए नही उलट पाया क्योकि मुझे ऐसा लग रहा था जैसे उसमे पानी नही है, या पानी होगा भी तो बोतल तो एसिड का ही था, थोड़ा बहुत तो नुकसान होगा ही, मैं सिर्फ डराने के लिए ही वो ड्रामा कर रहा था लेकिन उसने मेरे हाथ से झटका देकर रोशनी के चेहरे पर वो गिरा दिया"
"तो तुमने उसे मार दिया" दीपक ने उसकी बात काटकर सवाल किया।
"हां मैंने उसे उसके किये की सजा दे दी थी, क्योकि उसकी वजह से ही रोशनी का चेहरा जला था। हॉस्पिटल में तुम्हे आते देखकर में छिपकर दूसरे रास्ते से भाग गया, क्योकि मुझे पता था अब रोशनी को मेरी जरूरत नही है, तुम आ गए हो, मैं वहां से भागकर सीधे धर्मा के पास गया और सारा गुस्सा उसपर निकाल दिया" अनुराग ने कहा।
"जरूरत तो अब मुझे भी नही है तुम्हारी" कहते हुए दीपक ने उसके दुसरे हाथ के बाजू में भी गोली मार दी और एक चीख कमरे में गूंज उठी। अनुराग दर्द से कराहने लगा क्योकि उसके दोनो हाथों में गोली लग चुकी थी जो हाथ बंधे हुए थे।
"चाहे कुछ भी कर लो, गलती तुम्हारी ही है, सबसे पहली गलती ये की जब रोशनी तुमसे प्यार ही नही करती तो उसका पीछा करते ही क्यो थे? उसे मजबूर क्यों करते थे कि वो तुमसे शादी करे। और मुझे जान से मारने वाले थे ना तुम…. । मारो…. मारो ना…. अरे मार भी लो देखो कितने पास हूँ मैं तुम्हारे।" दीपक ने अनुराग की तरफ देखते हुए कहा।
अनुराग के आंखों से आंसू बह रहे थे, क्योकि उसके हाथों में बहुत दर्द हो रहा था और खून भी बह रहा था।
दीपक ने अब एक बोतल निकाली जो एसिड की थी और अनुराग के चेहरे के पास लाते हुए उसे दिखाते हुए सवाल किया- "ये क्या है??"
अनुराग चिल्लाया- "नही….नही प्लीज , तुम ऐसा नही करोगे"
"रोशनी ने भी यही कहा था। है ना? ऐसे ही चिल्लायी थी वो भी। उसके भी दोनो हाथ पकड़ लिए गए थे। वैसे ही तड़पाउंगा तुम्हे" दीपक बोला।
"मुझे दुख है मेरे किये का, प्लीज ऐसा मत करो, मैं रोशनी से माफी मांग लूँगा" अनुराग ने कहा।
"अगर दुख होता न बेटा तो कोर्ट में मांगता माफी, कबूल कर लेता की तू सुमित के गैराज से एसिड ले गया और तूने रोशनी के चेहरे के पास बोतल रखी और धर्मा ने बोतल झटक लिया, जिसे तुमने खत्म कर दिया। लेकिन नही…. तुम्हारा सीना चौड़ा ही रहा और एक बेगुनाह व्यक्ति सत्र्त इल्जाम अपने सिर पर लेकर अपने परिवार को बेघर होने से बचाता रहा। तुम्हे तकलीफ सच मे होती तो तुम कोर्ट में तरह तरह के इल्जाम नही लगाते रोशनी पर, तुम उसे झूठा साबित करने के लिए सारी हदें पार नही करते। क्या कह रहे थे , वो गरीब है जिसने एसिड फेंका उससे पैसे नही ऐंठ सकती सलिये मुझपे इल्जाम लगा रही है, इस लड़की ने मुझे पचास लाख रुपये देने को भी कहा था , इसने कहा कि अगर केस वापस लेना है तो पचास लाख रुपया दे दो। मैं क्यों दूँ जब गलती मेरी नही है तो।" दीपक ने कोर्ट की बात याद दिलाते हुए बोतल का ढक्कन खोल दिया ।
"कब मांगे उसने पचास हजार रुपये, कब उसका बिजनेस डूबने की कगार पर था बता" दीपक ने चीखते हुए कहा।
"मैं मानता हूँ मेरी गलती, प्लीज मेरे ऊपर एसिड मत डालो, मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ, प्लीज" अनुराग गिड़गिड़ाते हुए बोला।
"चल ठीक है, नही डालता, तू जोड़ हाथ, अगर तूने हाथ जोड़ दिए तो नही डालूँगा" दीपक ने कहा।
अनुराग अपने दोनो बंधे हुए हाथ देखने लगा, जो कुर्सी के अलग अलग छोर पर मजबूती से बांधे गए थे।
"हहहहहह…. जोड़ ना…. क्या हुआ, जोड़ दे, पक्का नही डालूँगा" दीपक हंसते हुए बोला।
अब दीपक ने एक बूंद उसके हाथ मे डालते हुए कहा- "पता है कहाँ से लाया…. तेरे सुमित के दुकान से……चेहरा ढक के गया था, क्योकि वो पहचान लेता तो कभी नही देता…….🤔🤔🤔🤔
"भैया एक मिनट बात सुनेंगे" दीपक ने कहा।
"जी कहिए।" सुमित बोला।
"एक बोतल एसिड चाहिए" दीपक ने कहा।
"एसिड…. पागल है क्या, ऐसे एसिड नही बेच सकते, सॉरी…. "
"समझा करो भैया, अपना धुप अगरबत्ती का बिजनेस है, और एक धांसू उपाय से हम बनाते है"
"आप मुझे बना रहे हो, धांसू उपाय से, वो भी उल्लू, मैं अच्छे से जानता हूँ आजकल क्यो लोग इसे ब्लैक में खरीदते है"
"क्यो? क्यों खरीदते है" दीपक ने कहा।
"किसी से दुश्मनी या बदला लेना होगा, और क्या??"
"आप समझदार लग रहे हो, किम्मत बताओ, कितने का दोगे, मुंह मांगी किम्मत मिलेगी, क्योकि वो लड़की जितना घमंड अपने चेहरे पर करती है उसके घमण्ड़ को तोड़ने के लिए मैं हर किम्मत अता कर सकता हूँ।" दीपक ने कहा।
"अब क्या ही ज्यादा पैसे लूँगा, एक काम करो पांच हजार कैश में दे दो, लेकिन एक शर्त है अगर फंसे तो मेरा नाम नही आना चाहिए, अगर आया तो मैं तो खुद को निर्दोष साबित कर ही दूँगा लेकिन तुम्हे छोडूंगा नही।"
"एक काम करो, अपने कैमरे ओफ् करवा लो,अगर किसी को एसिड ब्लैक में बेचो तो कैमरे बैंड कर दिया करो थोड़ी देर के लिए, क्योकि पुलिस तो मेरे ना फंसने में भी नजदीक के ऐसे दुकानों की फुटेज लेगी जहां एसिड होने की संभावना है, ताकि वो मुजरिम तक पहुंच सके।" दीपक ने कहा।
"अरे वाह…. आज पहला ग्राहक आया जो इतना धांसू उपाय बताकर गया है। ये लाइफ़ टाइम काम आएगा" सुमित ने कहा और पिंटू को आवाज देते हुए कहा- "पिंटू…. वो नीचे रूम में जाकर कैमरे की क्लिप निकाल दो जल्दी…."
पिंटू ने वैसा ही किया।
अब सुमित ने एसिड की एक बोतल निकाली और कॉउंटर पर रखते हुए बोला- "चल साढ़े चार हजार दे दे, तूने उपाय अच्छा बताया है तेरे लिए डिस्काउंट"
"ठीक है" कहते हुए दीपक ने जेब से पिस्टल निकाली और सुमित पर तान दी…. - "अनुराग को भी तूने ही दिया था एसिड…. और तेरे एसिड की वजह से मेरी रोशनी जल गई…. तू तो गयो……और हाँ ये तेरे दोस्त अनुराग का मुंह जलाने के लिए है।"
दीपक ने सुमित पर गोली चलाई और एसिड लेकर भाग गया।
"तेरे सुमित को भी मर दिया मैंने, धर्मा को तू पहले मार चुका, और अब बचा है सिर्फ तू…. और आज तू भी खत्म हो जाएगा…." दीपक ने कहा ।
अनुराग का हाथ बहुत दर्द कर रहा था, उपर से कलाई में एसिड डालने से उसे जलते कोयले का हाथ मे होने का अनुभव हुआ ।
दीपक ने खुद थोड़ा दूर जाते हुए दीपक के चेहरे पर तेजी से बोतल छलका दिया। और उसे तड़पता हुआ देखकर बोला- "आसान मौत नही देनी है तुझे, तू यही तड़प तड़प के मरेगा"
इतना कहकर दीपक उस रूम को लॉक करके भाग गया।
कहानी जारी है
Fiza Tanvi
27-Aug-2021 11:49 PM
Mene to sabhi part becheni se pade h age ky hoga ab ky higa
Reply
🤫
10-Aug-2021 02:01 AM
ओह हो अनुराग तो गया अब!बेचारा क्या हालत हो गयी उसकी अब इसमे भी कोइ साजिश निकलकर आती है सामने या फिर ये यही ख्त्म होचुका है ..!देखते है अगले भाग में...
Reply
santosh bhatt sonu
10-Aug-2021 06:15 AM
Shukriya ji
Reply